The Ultimate Guide To Shodashi

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पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या

The Navratri Puja, By way of example, requires establishing a sacred Area and doing rituals that honor the divine feminine, having a concentrate on meticulousness and devotion that is thought to bring blessings and prosperity.

चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of community and spiritual solidarity between devotees. During these situations, the collective Electrical power and devotion are palpable, as members interact in numerous types of worship and celebration.

देवीं मन्त्रमयीं नौमि मातृकापीठरूपिणीम् ॥१॥

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।

Goddess Shodashi has a 3rd eye to the forehead. She is clad in crimson costume and richly bejeweled. She sits on the lotus seat laid over a golden throne. She is demonstrated with four arms in which she holds five arrows of get more info bouquets, a noose, a goad and sugarcane as being a bow.

या देवी हंसरूपा भवभयहरणं साधकानां विधत्ते

षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram

लक्ष्या या पुण्यजालैर्गुरुवरचरणाम्भोजसेवाविशेषाद्-

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥

इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।

Chanting this mantra is believed to invoke the blended energies and blessings with the goddesses connected with Each and every Bija mantra. It can be employed for numerous needs like attracting abundance, searching for expertise, invoking divine femininity, and fostering spiritual advancement and transformation.

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